उन सभी कलाकारों को समर्पित, जिनकी कला को उनके जीवनकाल में नहीं समझा जा सका |
धारणा की प्रेरणा
नई वाली हिंदी में साहित्य और निबंध को पेश करने का एक छोटा सा प्रयास है, प्रयास है वापस से अपनी मातृभाषा को सराहने का, उसकी मासूमियत और ताकत को महसूस करने का, प्रयास है अपने अंदर बसी कहानियों को अपनी कल्पना के साथ संजोने का। लिखना एक कला है और कलाकारी एक ज़िम्मेदारी। समाज को आज का आईना दिखा कर कल को संजोने की ज़िम्मेदारी। ज़िम्मेदारी है सच को निष्पक्षता से देखने की, वरना जब आईने में ही धब्बा हो तो उसके प्रतिबिंब या लेखकी में वो ज़रूर झलकेगा ।
"धारणा" में आप भी आमंत्रित हैं अपने विचार को निबंध या कहानी के रूप में व्यक्त करने के लिए। लेखन शिक्षात्मक हो तो प्रशंसनीय और विवाद-योग्य हो तो एकाधिक दृष्टिकोण को आभार समझा जाएगा।
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