इलेक्टोरल बॉन्ड का विवाद
किसी भी राजनीतिक दल को अपने विचार और उद्देश्य आम नागरिक तक पहुँचाने के लिए पैसा चाहिए होता है, इसमें कुछ गलत नहीं, पर पैसे का प्रबंध कैसे हो यह एक गंभीर और महत्वपूर्ण विषय है।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम राजनीतिक दल के लिए पैसे बटोरने का यंत्र है जो कि BJP द्वारा 2018 में लाया गया था, इस पैसे का राष्ट्र निर्माण कार्य में उपयोग से कोई लेना देना नहीं है, यह पैसे सिर्फ राजनीतिक दल अपना उद्देश्य पहुँचाने एवं अपने वोटर्स को लुभाने के लिए करती है| यूट्यूब विज्ञापन, पार्टी कार्यकर्ताओं और IT Cell का वेतन कुछ उदाहरण है।
इलेक्टोरल बॉन्ड को सरकार ने दो मुख्य उद्देश्य बता के प्रस्तुत किया था -
- राजनीतिक दल को जो मेजर डोनेशन कैश में होता था उसको बैंकिंग सिस्टम द्वारा करना।
- डोनर्स की पहचान को गोपनीय रखना। यह बात रखी गई थी कि डोनर की पहचान सरकार को भी नहीं पता चलेगी, अथ: डोनर्स का उत्पीड़न कोई भी राजनीतिक दल अपने संसाधनों और प्रभाव द्वारा नहीं कर सकेगी।
सरकार ने बार बार दोहराया कि बॉन्ड्स के डोनर और पार्टी को मिले डोनेशन का मिलान करने का उनके पास कोई ज़रिया नहीं है और वह उससे नहीं ट्रैक कर सकती। शुक्र है पूनम अग्रवाल जैसे पत्रकार का जिन्होंने नेता जी के बात को यूँ ही नहीं मान लिया और सच की तह तक गयी। पूनम ने स्वतः एक बॉन्ड खरीदके जब उसकी फोरेंसिक जाँच करायी तो पता चला UV रेज़ के अंदर एक सीक्रेट कोड दिखाई पड़ता है, जिसकी मदद से सरकार सारे चंदे को ट्रैक कर रही थी।
इलेक्टोरल बॉन्ड की ट्रैकिंग
जब सीक्रेट नंबर की बात सामने आयी तो BJP के वित्त मंत्री ने एक सफेद झूठ बोला और अपनी पुरानी बात पर टिके रहे, “यह नंबर SBI द्वारा किसी भी रिकॉर्ड में खरीदार या किसी विशेष इलेक्टोरल बॉन्ड जमा करने वाली राजनीतिक पार्टी के साथ जोड़ा नहीं गया है।” सफेद झूठ इसलिए कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की नीति को असंवैधानिक करार करते हुए SBI को अपना सारा डाटा पब्लिक करने को बोला, तो बड़े आसानी से डोनर और राजनीतिक पार्टी का मिलाप किया जा सकता था।
सुप्रीम कोर्ट को इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने में 5 साल लग गए। इस अंतराल, सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी को पता था कि कौन, किसको और कितना चंदा दे रहा है। यह बात समझ में आती है कि उद्योगपति जीतते हुए घोड़े पे पैसा लगाने को तरजीह देंगे पर BJP को सर्वाधिक 6060 करोड़ की पेटी भरने में सिर्फ EB यंत्र का नहीं पर सरकारी एजेंसियों के तंत्र का सहारा भी लेना पड़ा। सरकारी संसाधन और एजेंसियों का इस्तेमाल करते हुए BJP अपने इलेक्टोरल बॉन्ड की पेटी भरने में लग गयी। लिस्ट सार्वजनिक होने के बाद कुछ प्रमुख पैटर्न सामने आये -
- CBI/ED के छापे के बाद कंपनियों से चंदा वसूली।
- प्रॉफिट के मल्टीपल में डोनेशन, या कंपनी लॉस में है पर करोड़ों में डोनेशन।
- जब कंपनियों ने BJP के बॉन्ड खरीदे, उसके अंतर्दर्मियान उन्हें बड़े सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले।
औरोबिंदो फार्मा केस का अध्ययन:
संयोग के कई कारनामे इस मामले में उभरकर आए, जैसे 38 कंपनियों ने चंदा देने के अंतराल सरकारी ठेके पाए। लिस्ट में से 41 कंपनियों के ऊपर ED/CBI/IT द्वारा 56 छापे पड़े फिर BJP को इन कंपनियों से चंदा मिला। सबका अध्ययन करना मुश्किल होगा तो चलिए इसमें से एक सनसनीखेज केस का अध्ययन करते हैं -
- 10 नवंबर 2022 -> ED अरेस्ट करती है आरोबिंदो फार्मा के डायरेक्टर शरथ चंद्र रेड्डी को।
- 15 नवंबर 2022 -> आरोबिंदो फार्मा BJP को 5 करोड़ का चंदा देती है।
- 20 जनवरी 2023 -> शरथ चंद्र रेड्डी ED पे आरोप लगाते हैं कि उनसे ED जबरन कुछ वाक्या कुबूल करवाना चाहती है।
- 08 मई 2023 -> 6 महीने से ऊपर जेल में रहने के बाद, शरथ पीठ दर्द के कारण बेल मांगते हैं। ED कोई आपत्ति नहीं जाहिर करती।
- 01 जून 2023 -> शरथ चंद्र रेड्डी शराब स्कैम केस में सरकारी गवाह बन जाते हैं।
- 30 नवंबर 2023 -> इस तारीख तक शरथ चंद्र रेड्डी से जुड़ी हुई कंपनियां चंदे में BJP को 50 करोड़ देती हैं।
- 21 मार्च 2024 -> BJP के अलावा किसी और पार्टी को इस दिन पता चला कि शरथ चंद्र रेड्डी से जुड़ी कंपनियों ने किसको और कितना डोनेट किया।
निष्कर्ष
भारतीय जनता पार्टी ने कई ऐसे कार्य किए जो कि 60 साल में कांग्रेस ने नहीं किया, हाइवेज निर्माण से लेकर, हर घर बिजली पहुँचाने तक। यह दुखद है कि इलेक्टोरल बॉन्ड भी BJP की इन उपलब्धियों में जुड़ चुकी है। प्रयास निरंतर यह होना चाहिए कि हम अपनी एक खूबी से दूसरी कमी को न ढकें, हर पहलू की उसके परिणाम अनुसार जवाबदेही बननी चाहिए।
यह लेख मैंने अपनी समझ से लिखा है और इसका मात्र एक उद्देश्य खड़ी बोली हिंदी में सच प्रस्तुत करने का, आजकल मीडिया में सच की गूँज इस भाषा में सबसे धीमी सुनाई पड़ती है।
मैंने जितना हो सके रेफरेन्स दिए हैं। फिर भी, अगर मुझसे कोई तथ्य प्रस्तुत करने में चूक हो गयी हो तो, मैं आपके सुझावों या प्रश्नों के जरिए इस लेख को सच्चाई के करीब ले जाने में आपका धन्यवाद स्वीकार करूँगा।
गुजरे हफ्ते बातचीत के दौरान मुझे जो सवाल बारम्बार मिले या खुद के मन में आए, उनका जवाब दिया है।
Q. हाँ, तो?
A. हर हर महादेव!
Q. शाह जी बोल रहे थे कि अगर प्रति इलेक्टेड MLA देखो तो BJP सबसे आगे नहीं आती है चंदा बटोरने में।
A. पार्टी को दिया हुआ चंदा राष्ट्र निर्माण में नहीं काम आता बल्कि प्रचार के लिए काम आता है। प्रत्याशी हारे या जीते, प्रचार के लिए पैसा दोनों को ही चाहिए होगा। हर प्रदेश में चंदा प्रति प्लेट मोमोस देखा जाए तो शायद DMK लिस्ट में अव्वल आएगी लेकिन इसका कोई मतलब नहीं।
Q. सब खतम हो जायेगा अब? डेमोक्रेसी नहीं बचेगी?!
A. भाई भाई भाई! इंडिया की डेमोक्रेसी इतनी कमजोर नहीं है, इससे बहुत कठिन पल देखे हुए है। तुम जितनी जहर समझते हो, यह दुनिया उससे बेहतर है।
Q. इलेक्टोरल बॉन्ड से सारी पार्टियों को फायदा मिला है तो BJP का ही पर्चा क्यूँ खोला?
A. प्रमुख कारण तो यह कि BJP सत्ताधारी पार्टी है और उसने ही इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम लायी। गोपनीयता के चलावे में देश को अंधेरे में रखा और सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल चंदा बटोरने के लिए किया। कोई दूसरी पार्टी सत्ता में होती तो शायद यह लेख उनके ऊपर होता।
Q. क्या BJP के अलावा और पॉलिटिकल पार्टी दूध से धुली हुई है?
A. बिलकुल भी नहीं और मेनस्ट्रीम मीडिया का धन्यवाद कि दूसरी पार्टियों के लिए यह बात सुनिश्चित करते हैं कि ऐसी गलतफहमी देशवासियों को न हो।
Q. तुम तो बनारस के पक्के महाल से हो, फिर BJP के अगेंस्ट में काहे लिख रहे हो?
A. 20s में ज्ञान मार्ग ज्यादा सही लगता है भक्ति मार्ग से।
References -
Electoral Bonds by Ministry of Finance
Arun Jaitley defending anonymity of electoral bonds by Deccan Herald
Poonam Agrawal explaining with physical copy of electoral bonds in a video
Govt saying that numbers are for security not for tracking by Quint
Finance Bill removes cap on corporate donations by India TV
Supreme court calls Electoral Bonds unconstitutional by The Hindu
Disclosure of Electoral Bond by ECI
Electoral bond data visualization tool by Aytas
Sarkari tantra ka BJP dwara istemal ka adhyayan by Jairam Ramesh
ED alleges that Sharath is kingpin in liquor scam by Deccan Chronicle
ED used force on witnesses to sign pre-dictated statements by The Print
P. Sarath Chandra Reddy bail application
HC grants bail to SC Reddy by Economic Times
Reddy turns approver in Delhi excise case by The Hindu Business Line