विचारधारा एक विरोधाभास
लेखक: विभु पांडे
विचार की धारा पर एक बांध स्वरूप है विचारधारा। जब हम किसी विचारधारा को समर्पित हो जाते हैं तो वह हमारे विचारों के प्रवाह को रोक सा देती है। विचारधारा की अवधारणाओं के सीमित आकाश के परे एक दुनिया है, वह दुनिया जिसमें व्यक्ति विचारशील और प्रश्न करने वाले दृष्टिकोण के साथ विषयों का विश्लेषण करता है। यह तार्किक विचार हमें सच्चाई की खोज में मार्गदर्शन करते है और मौजूदा विचारधारा की सीमाओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित करते है।
जटिल समस्याओं के लिए साधारण उत्तर देने के वादे के साथ-साथ, स्थापित विचारधाराएं हमें रूपरेखा प्रदान करती हैं। लेकिन यदि उन्हें निर्विचार ढंग से अपनाया जाए तो वे भयावह हो सकती हैं। जब हमारी दुनिया की समझ निरंतर विकसित होती है, तो हम अपनी जिज्ञासा को सूली पे चढ़ाए बिना एक निश्चित रूपरेखा को अपनी पहचान कैसे बना सकते हैं? हमारी विचारधारा हमारी वह सामाजिक पहचान है जिसे हमने बनाया ही नहीं। वह पहचान जिसपे हम इस डर से नहीं सवाल उठाते कि हमारे ऊपर सवाल न उठ जाए। हमारी वह पहचान शायद जिसको हमने कभी मूल रूप से समझा तक नहीं।
जो लोग अपने बारे में अच्छा महसूस करना चाहते हैं, लेकिन बौद्धिक रूप से आलसी हैं, वे विचारधारा द्वारा प्रभावित होने के लिए सबसे आसानी से उपलब्ध होते हैं। अंतर्मन में शायद हर किसी को यह समझ होती है कि जो लोग किसी विचारधारा का पालन कर रहे हैं, वे मूल विचारक नहीं होते, और इसलिए विवाद में दोनों पक्ष दावा करेंगे कि सामने वाला किसी विचारधारा द्वारा प्रेरित है। और शायद इस मामले में दोनों पक्ष सही निष्कर्ष पे भी हैं जो दूसरे को तो आंक पाते बस खुद को नहीं झांक पाते।
परंतु जिंदगी के हर छोटे मोटे पहलू के बारे में यदि विश्लेषण करने बैठ जाएं तो जीएंगे कब? मैंने अंग्रेजी में एक लेख लिखा था, जिसमें बिना कुछ सोचे समझे नास्तिक जीवन अपनाने की आलोचना की थी क्योंकि नास्तिक होना आसान नहीं। खुद से रची हुई सही-गलत की रेखा पे अनुशासन के साथ चलना आसान नहीं। लिंक इस लेख के आखिर में उपलब्ध है। इसमें कोई दोष नहीं है यदि आप किसी विचारधारा के साथ खुद को पहचानते हैं, बस अपना अस्तित्व खो कर इसे अपनी पहचान बनाना दुःखद है।
विचारधाराएँ समर्पण की भावना प्रदान कर सकती हैं, एक समुदाय से संबंधित होने की भावना, लेकिन किस कीमत पर? ज़िन्दगी के हर पहलु का विश्लेषण संभव नहीं परन्तु जो पहलु हमें परिभाषित करते हैं, उनकी रूपरेखा पर तो चिंतन किया जा सकता है।